राहत इंदौरी नहीं रहे. मोहब्बत की शायरी हो या बग़ावत की शायरी. नौजवानों के दिल में जगह बनाकर महफिल जमा देने वाले राहत साहब चले गए. मंगलवार को उन्होंने ट्विटर के ज़रिए ख़बर दी थी कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं. दोपहर होते-होते दिल का दौरा पड़ने की खबर आई और वह नहीं रहे.
उनके कुछ खास फिल्मी गीत तो आपकी-हमारी ज़बान पर चढ़े हुए हैं और काफी हिट भी रहे हैं.
मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस. का यह गीत तो आपको याद ही होगा,
बैयाँ साँसों की खुद पे डाले बैयाँ
जीवन है बर्फ की नैया
नैया पिघले हौले हौले
चाहे हंस ले चाहे रोले
मरने से पहले जीना सीख ले
यह गीत तो अपने-आप में जीवन दर्शन भी समेटे हुए हैं. फिल्म करीब में उन्होंने एक प्यारा सा गीत लिखा था,
चोरी चोरी जब नज़रें मिली
चोरी चोरी फिर नींदें उड़ी
चोरी चोरी ये दिल ने कहा
चोरी में भी है मज़ा
सुपरहिट फिल्म इश्क़ तो आप नहीं ही भूले होंगे. अजय देवगन-काजोल और आमिर खान जूही चावला के अभिनय वाली फिल्म का यह गाना भी राहत साहब ने ही लिखा था
नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम, तूने
चैन चुराया मेरा किसने ओ सनम, तूने
दिल में मेरे रहने वाली कौन है, तू है, तू है
नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम, तूने, तूने
इसी तरह 2003 में आई फिल्म मर्डर के लिए उन्होंने सुपरहिट गीत लिखा था
दिल को हज़ार बार रोका रोका रोका
दिल को हज़ार बार टोका टोका टोका
दिल है हवाओं का झोंका झोंका झोंका
धोखा है प्यार यार, प्यार है धोखा
2003 में ही आई इन्तहा के लिए उन्होंने लिखा
ढलने लगी है रात कोई बात कीजिये
बढ़ने लगी है बात कोई बात कीजिये
है ज़िन्दगी का साथ कोई बात कीजिये
कट जाएगी ये रात कोई बात कीजिये
ऐसे नगमों की फेहरिस्त हम गिनाते रहे तो कभी खत्म नहीं होगा. राहत साहब के फिल्मी गीतों में भी गजब की गहराई हुआ करती थी.
व्यवस्था के खिलाफ लिखने वाले राहत साहब ने सरकारों को शायरी के अंदाज़ में चेतावली दी तो कई फिल्मी गीत भी लिखे. आज जबकि वह हमारे बीच नहीं है, उनके कुछ चुनिंदा शेर हैं जो हम सबकी ज़बान पर रहे हैं और हमेशा बने रहेंगे.
- एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
- अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है
लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया
3. सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.
4. अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए
5.दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया
6. मैं जानता हूं दुश्मन भी कम नहीं,
लेकिन हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी है
9. शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
10. ये ज़िंदगी जो मुझे क़र्ज़-दार करती रही
कहीं अकेले में मिल जाए तो हिसाब करूँ
11. हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
12. जनाज़े पर मिरे लिख देना यारो
मोहब्बत करने वाला जा रहा है
13. दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
14. मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना
लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना
15. आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत