किस्मत एक ऐसी फिल्म थी, जिसने न सिर्फ अपने स्टूडियो और अपने हीरो अशोक कुमार की किस्मत बदल दी, बल्कि इसने हिंदी फिल्मों में बहुत सारे ट्रेंड भी स्थापित कर दिए.
कुमुदलाल कांजीलाल गांगुली यानी परदे पर अपने अशोक कुमार या दादामुनि का फिल्मी दुनिया में एक लंबा करियर रहा है. उन्हें 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी मिल चुका है.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी अशोक कुमार बॉम्बे टॉकीज़ में काम करने और निर्देशक बनने बंबई आए थे. बॉम्बे टॉकीज पहला भारतीय स्टूडियो था, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के तकनीशियन काम करते थे. इस स्टूडियो के कैमरा डिपार्टमेंट और लैब तकनीशियन विदेशी थे.
बॉम्बे टॉकीज की स्थापना हिमांशु राय और देविका रानी ने की थी. अशोक कुमार का इस स्टूडियो के साथ खास रिश्ता था.
लेकिन जब इस स्टूडियो में ‘जीवन नैया’ (1936) नामक फिल्म बन रही थी, तो इसके हीरो नजमुल हसन को फिल्म से हटाना पड़ा.
असल में, हीरो नजमुल हसन स्टूडियो की मालकिन देविका रानी के साथ रातों-रात फरार हो गए और कलकत्ते चले गए.
इस तरह 22 साल की उम्र में हिंदी फिल्म उद्योग को अशोक कुमार के रूप में पहला सदाबहार हीरो मिला. हालांकि, फिल्म के जर्मन निर्देशक फ्रांज ऑस्टिन अशोक कुमार को खारिज कर रहे थे लेकिन हिमांशु राय और बहनोई शशधर मुखर्जी की बदौलत फिल्म अशोक कुमार को ही मिली.
तब तक शशधर मुखर्जी के समझाने से देविका रानी वापस बंबई आ गई थीं और बाद में अशोक कुमार के साथ उनकी जोड़ी कई फिल्मों में बनी. दोनों ने बाद में ‘अछूत कन्या’ (1936) और ‘वचन’ (1938) में साथ काम किया.
बहरहाल, किस्मत एक ऐसी फिल्म थी जिसने बॉम्बे टॉकीज को चमका दिया और यह फिल्म हिंदुस्तान की पहली सुपर-डुपर हिट फिल्म साबित हुई.
असल में, यह फिल्म अपने वक्त से कई साल आगे की थी और चालीस के दशक में यह सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बनी रही. यह कलकत्ते के रॉक्सी थियेटर में लगातार तीन साल तक चलती रही थी. यह भी एक रिकॉर्ड ही था.
कमाई के मामले में इसका रिकॉर्ड राज कपूर की ‘बरसात’ ने 1949 में तोड़ा था. ‘किस्मत’ ने आज के हिसाब से करीब 60 करोड़ रुपए कमाए थे.
वैसे, इस फिल्म के नाम एक और खिताब 1975 तक चस्पां रहा और वह था भारत में सबसे लंबे समय तक चलने वाली फिल्म का. किस्मत ने यह खिताब 32 साल तक अपने नाम रखा, जिसने बाद में ‘शोले’ ने तोड़ा.
‘किस्मत’ ने अशोक कुमार को भारत के पहले स्टार का रुतबा भी दिया. वह इस फिल्म में एक चोर की भूमिका में थे. और फिल्म शुरू होने तक वह तीन बार जेल जा चुके थे.
वह एक गायिका रानी (मुमताज शांति) के मिलते हैं और उसकी जिंदगी को ठीक करने के लिए कुछ करना चाहते हैं. कुछ करने का एक ही उपाय हैः चोरी-चकारी.
शेखर हिंदी सिनेमा का पहला एंटी-हीरो था. और फिल्म का नायक की प्रचलित छवि के उलट, धूसर किरदार वाले हीरो का आइडिया चल निकला था. इस फिल्म में शेखर को जुआ खेलने में मजा आता है, और हर सीन में वह सिगरेट के साथ दिखता है. उन दिनों भी, सिगरेट पीना कोई अच्छी बात थोड़ी मानी जाती थी!
उस समय आलोचकों ने फिल्म को अनैतिक वगैरह बताया था क्योंकि हीरो धीरोदात्त नायक तो था नहीं. फिल्म में एक अविवाहित लेकिन गर्भवती लड़की (रानी की छोटी बहन) का किरदार भी आलोचकों को छेड़ने के लिए काफी था.
लेकिन ‘किस्मत’ के हिस्से में सिर्फ एक कामयाब ग्रे किरदार वाला हीरो ही नहीं था. निर्माता शशधर मुखर्जी से लेकर निर्देशक ज्ञान मुखर्जी तक और अशोक कुमार तक पर फ्रांसिस मेरिओन की किताब हाउ टू राइट ऐंड सेल फिल्म्स स्टोरी का गहरा असर था.
शायद इसलिए किस्मत की पटकथा बेहद कसी हुई थी और स्टोरीलाइन बेहद तगड़ी.
असल में, कई सारी कहानियों को एकसाथ खोलकर भी किस्मत में कहानी तेजी से आगे बढ़ती है.
हिंदी फिल्मों में मिलने-बिछुड़ने वाली थीम का बीजारोपण भी इसी फिल्म ने किया था. बाद में इसका ‘वक्त’ और ‘अमर, अकबर, एंथनी’ जैसी कई फिल्मों में कामयाबी से दोहराव हुआ था. और आप अगर हाथ पर गोदना (टैटू) और ताबीज के हिंदी फिल्मी टोटकों को जानते हैं तो यह भी जान लीजिए कि यह सब किस्मत से ही शुरू हुआ था.

अशोक कुमार उन कुछेक अभिनेताओं में थे जो अपने किरदार के लिए खुद गाना गा सकते थे. इस फिल्म में ‘धीरे-धीरे आ रे बादल’ उन्होंने अमीरबाई कर्नाटकी के साथ गाया था. ‘किस्मत’ के संगीतकार अनिल विश्वास थे और उनका गीत खासकर ‘दूर हटो ए दुनियावालो हिंदुस्तान हमारा है…’ ने दर्शको में देशभक्ति भर दी थी. और वह भावना इतनी तगड़ी थी कि सेंसर के अंग्रेज अधिकारियों ने कई दफा यह फिल्म देखी थी.
किस्मत ने पहली सुपर हिट के तौर पर अपना नाम तो बनाया ही, यह लगातार तीन साल तक सिनेमाघर चलती रही. कथानक के तौर पर इसने कई टोटके हिंदी फिल्म उद्योग को दिए और एक सुपरहिट अभिनेता, यानी अशोक कुमार तो दिया ही.
किस्मत की कास्टः अशोक कुमार, मुमताज शांति
किस्मत के निर्देशकः ज्ञान मुखर्जी
किस्मत के संगीतकारः अनिल विश्वास
किस्मत के कैमरामैनः आर.डी. परींजा
किस्मत का संपादनः दत्ताराम पई