
रेन मैन दो भाइयों चार्ली बैबिट और रेमण्ड बैबिट की कहानी है. चार्ली स्वार्थी और चालाक है. उसका उसके पिता से झगड़ा है. वह सोलह साल की उम्र से ही पिता से दूर रहता है. उसे अपने व्यवसाय में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
पिता की मृत्यु के बाद उसे पता चलता है कि उसके पिता की तीस मिलियन डालर की सम्पत्ति उसे नहीं मिलेगी. चार्ली इस बात से बेचैन हो जाता है. वह पता करना चाहता है कि उसके पिता ने अपनी सम्पत्ति किसके लिए छोड़ी है. उसे पता चलता है कि उसके पिता ने अपनी सारी जायदाद उस संस्था को दान कर दी है जिसमें उसका बड़ा भाई रेमण्ड भर्ती है. रेमण्ड ऑटिज़म का शिकार है. बाहरी दुनिया से उसे कोई खास वास्ता नहीं.
चार्ली लालच और बदले की भावना के तहत रेमण्ड का अपहरण कर लेता है. रेमण्ड को बाहरी दुनिया में रहने की आदत नहीं है. चार्ली कई बार अपने फायदे के लिए क्रूरता की सीमाएँ लाँघ जाता है. फिर भी दोनों भाई अगले कई दिनों तक एक साथ रहते हैं. इस दौरान दोनों भाइयों के अतीत के कई रहस्यों से पर्दा उठता है. एक साथ रहते हुए दोनों भाइयों के बीच एक रिश्ता बनता है. दोनों एक दूसरे को जान पाते हैं. एक दूसरे से प्रेम करने लगते हैं.
फिल्म की कहानी के अंत में रेमण्ड को विशेषज्ञ डॉक्टर यह फैसला करने को कहता है कि वह अपने भाई के साथ रहना चाहता है या फिर उस संस्था में जिसमें वो बचपन से रहता आया है. रेमण्ड बार बार दोनों सवालों का जवाब हाँ में देता है. एक बार तो वो यह भी कहता है कि वो उस संस्था में अपने भाई के साथ रहना चाहता है. रेमण्ड क्योंकि दुनियावी समझदारी से वाकिफ नहीं है इसलिए वो समझ नहीं पाता कि दुनिया वालों के लिए ये दोनों एक साथ होना संभव नहीं है.
फिल्म की सबसे बड़ी खूबी ऑटिज़म से ग्रस्त लोगों को बहुत मानवीय ढ़ंग प्रस्तुत करती है. इस फ़िल्म के माध्यम से हमें इस तरह के लोगों को देखने की नई दृष्टि मिलती है.यह फ़िल्म बिना किसी हिचक के मानवीय संवेदना को उभारना वाली सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में रखा जा सकता है. डस्टिन हाफमैन ने रेमण्ड की भूमिका को लाजवाब ढंग से निभाया है. टॉम क्रूज ने भी चार्ली की भूमिका को बखूबी निभाया है. इस फ़िल्म को कुल चार ऑस्कर मिले हैं. इनमें डस्टिन हाफमैन को रेमण्ड की भूमिका के लिए और बैरी लेविंसन को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए मिला ऑस्कर शामिल है.