जब दिनेश विजन ने स्त्री बनाई तो किसी को भी अंदाज़ा नहीं था की ये इतनी बड़ी हिट साबित होगी। दिनेश विजन ने स्त्री की लोकप्रियता को भुनाने के लिए दूसरी फिल्म रूही को बना दिया। इस फिल्म को डायरेक्ट किया है कामयाब फिल्म के डायरेक्टर हार्दिक मेहता ने। दोनों फिल्मों में असल जीवन में प्रचलित कथाओं से प्रेरित चुड़ैलों के बारे में बताया गया है।
स्त्री में नालेबा नाम की चुड़ैल की बात की गयी है वैसे ही रूही में हुडियापेरी नाम की चुड़ैल की बात की गयी है। फिल्म की कहानी इस प्रकार है भावरा (राजकुमार राव ) जो कि एक क्राइम रिपोर्टर है और कटनी (वरुण शर्मा) जो भावरा का दोस्त है,दोनों बागड़पुर नाम के गांव में रहते है। पत्रकारिता के साथ साथ भावरा एक स्थानीय गुंडे के कहने पर,कटनी के साथ मिलकर लड़कियों का अपहरण भी करता है जिससे उनकी जबरन शादी करवाई जा सके।
एक दिन भावरा और कटनी रूही नाम की लड़की का अपहरण करते हैं। यहीं से कहानी के ट्विस्ट और टर्न की शुरुआत होती है। स्त्री में चुड़ैल गांव के लड़कों को गायब करती थी वहीं रूही में नई नवेली दुल्हन चुड़ैल का निशाना बनती है। अब चुड़ैल की इन दुल्हनों को निशाना बनाने की क्या वजह है ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। मूवी हॉल में ये फिल्म ज़्यादा अच्छी लगेगी,पर जो इसे थियेटर में नहीं देख पाएंगे उनके लिए ये नेटफ्लिक्स पे भी रिलीज़ की जायेगी।
बात करते हैं फिल्म के कलाकारों के अभिनय की। जाह्नवी इस फिल्म में मेन लीड हैं, अगर हम उनको श्रीदेवी की बेटी के रूप में जज न करके केवल जाह्नवी की तरह ही देखें तो ही ठीक होगा। जाह्नवी को देख के ऐसा लगता है जैसे वो अभिनय करना तो चाहती हैं पर कैमरे के सामने सहज नहीं हैं। अपनी हर फिल्म के साथ उनमें थोड़ा सुधार दिख रहा है।
जान्हवी के हिस्से डायलॉग ज़्यादा नहीं आये है, कुछ दृश्यों में जान्हवी के भाव कमाल के है तो कहीं-कहीं वो निराश भी करती हैं। डरे सहमे वाले भाग में उन्होंने अच्छा काम किया है, उनको देख के दया भी आती है। पर भूत वाले भाग में डर बिलकुल नहीं लगता, और मेकअप की वजह से अभिनय का पता ही नहीं चलता, बस आँखों को बड़ी करके घूरना ही भूतिहा अभिनय समझ लीजिये।
जाह्नवी और वरुण के साथ के कुछ दृश्य बहुत अच्छे है। फिल्म के अन्य दो प्रमुख किरदार में रजकुमार राव और वरुण शर्मा है। इस फिल्म में राजकुमार राव और वरुण शर्मा कॉमिक टाइमिंग हमेशा की तरह बेहतरीन है। वरुण के हिस्से बहुत अच्छे कॉमेडी सीन है और उन्होंने उसके साथ न्याय भी किया है। राजकुमार फिल्म में ट को त बोलते है। इससे भी कई जगह हसने का मौका मिलता है।
राजकुमार और वरुण ने अभिनय तो अच्छा किया है पर किरदार में कुछ नया नहीं है। राजकुमार को देख के हमें स्त्री और लूडो में निभाए उनके दोनों किरदार याद आएंगे। वही वरुण तो अपनी पहली फिल्म फुकरे के चूचा वाले इमेज से बहार ही नहीं आ पा रहे हैं, हर फिल्म में वही किरदार, अब वरुण को थोड़ा अलग करना चाहिए।
इंटरवल से पहले का भाग बहुत मनोरंजक है,पहले भाग में पहले जबरन शादी के बारे में बताया गया है। लेकिन इंटरवल के बाद के भाग उबाऊ है। फिल्म में सभी किरदारों ने अभिनय बहुत ही अच्छा किया है लेकिन अनुभव कुछ भी नया नहीं था क्योंकि हमने इनसभी चरित्र को अलग अलग फिल्मो में देखा है।
एक हॉरर कॉमेडी होने के नाते न तो कोई डरावनी कॉमेडी थी। इंटरवल के बाद फिल्म अचानक गंभीर हो जाती है। फिल्म के माध्यम से महिलाओ को लेकर एक सामाजिक सन्देश भी दिया गया है। कहानी अंत में बहुत सधी हुई हो जाती है और एक के बाद एक कई खुलासे सामने आते हैं, जो समझ ही नहीं आते हैं।
कहानी अनोखी थी, लेकिन उसको प्रस्तुत करने के तरीके ने इस फिल्म को औसत से नीचे बना दिया।शुरू में फिल्म बहुत हसती है पर अंतिम भाग में अचानक इतनी गंभीर हो जाती है की दर्शको को कुछ देर समझ ही नहीं आएगी। फिल्म के दोनों हिस्सों में तालमेल बिठाने में डायरेक्टर विफल रहे है।
फिल्म के अंत को भी स्त्री के अंत जैसा बनाने की कोशिश की गयी है पर ये फिल्म उतनी असरदार नहीं है। मेरे नज़र में ये फिल्म एक बार देखी जा सकती है। गानों की बात करें तो रीमेक सांग में जाह्नवी बहुत खूबसूरत लगी हैं और अभिनय और डांस भी कमाल है। बाकि गाने याद रखने लायक नहीं हैं।