अविनाश अरुण और प्रोसित रॉय के निर्देशन में बनी अमेज़न प्राइम वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ जब रिलीज हुई तो लीजेंडरी लेखक-गीतकार जावेद अख़्तर ने ट्विटर पर ‘परिपक्व सिनेमा’ की चाह रखने वालों को इसे जरूर देखने की सलाह दी। जंजीर, डॉन और दीवार जैसी फ़िल्मों के लेखक ने ‘पाताल लोक’ की निर्देशन, कहानी और अभिनय के लिए जमकर तारीफ की। आखिर ऐसा क्या है इस वेब सीरीज में कि इसने जादू पर जादू कर दिया!
‘पाताल लोक’ के सिनेमैटोग्राफर और सह-निर्देशक अविनाश अरुण इससे पहले किल्ला जैसी अवार्ड विनिंग फ़िल्म का निर्देशन कर चुके हैं। अविनाश अरुण ने फ़िल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट, पुणे से सिनेमैटग्राफी की पढ़ाई की है। शायद यही वजह है कि अनिवाश अरुण की फ़िल्म में परिपक्वता है जिसकी जावेद अख्तर ने तारीफ की है।
‘पाताल लोक’ दिल्ली के अंदर छिपी दिल्ली के अंदर छिपी दिल्ली की कहानी है। यह वेब सीरीज बदनाम पत्रकार तरुण तेजपाल के नॉवेल ‘दि स्टोरी ऑफ माई असैसिन’ पर आधारित है। एक लाइन में फ़िल्म की कहानी है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक गैंगेस्टर को एक प्रसिद्ध पत्रकार को मारने की सुपारी मिलती है लेकिन वह हत्या करने से पहले ही गिरफ्तार हो जाता है। इस साजिश के पीछे कौन था इसकी जाँच के दौरान ही दिल्ली
तेजपाल का यह नॉवेल किस पाये का यह तो नहीं पता लेकिन उसका अडाप्टेशन करते समय फ़िल्म के लेखकों सुदीप शर्मा, सागर हवेली, हार्दिक मेहता और गुंजित चोपड़ा ने पटकथा को परतदार बनाये रखा है। सीरीज में जयदीप अहलावत, गुल पनाग, नीरज कावि, अभिषेक बनर्जी, इश्वाक सिंह का अभिनय काबिल-ए-तारीफ है।
I strongly recommend to all who want to watch good and mature cinema . Please do watch PATAL LOK . Brilliant direction , writing and performances . My congratulations to the whole team .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) May 23, 2020
राजधानी दिल्ली का पाताल लोक
पाताल लोक की कहानी मूलतः एक दो पुलिसवालों की कहानी है। जो पर्दे पर एक पत्रकार पर जानलेवा हमले की साजिश की जाँच के बहाने परत दर परत खुलती है। यूँ तो पूरी दिल्ली ही देश की राजधानी है लेकिन उसके अंदर भी अलग-अलग स्वर्ग, मृत्यु और पाताल लोक हैं। फ़िल्म के केंद्रीय कैरेक्टर इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी (जयदीप अहलावत) की तैनाती इसी तीसरे दर्जे के लोक में है।
पहले दर्जे के नागरिक सेलेब्रिटी टीवी पत्रकार संजीव मेहरा (नीरज कावि) की हत्या का केस इंस्पेक्टर हाथीराम के जीवन का पहला अहम केस है। पुलिस इंस्पेक्टर की आम ध्वनि भयावह ही लगती है लेकिन हाथीराम पुलिस की वर्दी में एक बेचारा इंसान है। जिसकी बेहतर जीवन की उम्मीद पालने वाली सरल स्वभाव वाली बीवी है। हाथीराम की एक बड़ी चिंता उसका बेटा है जो पढ़ाई में कम और आवारगी में ज्यादा ध्यान देता है।
जाँच में हाथीराम का सहायक है इंस्पेक्टर इमरान अंसारी (इश्वाक सिंह) जो आईपीएस मेन क्वालिफाई कर लेता है। अंसारी बेहद ज़हीन और मेधावी है लेकिन समाज और पुलिस महकमे में पसरे सांप्रदायिक विद्वेष से उसका रोज-ब-रोज सामना होता है।
पत्रकार संजीव मेहरा और उसकी पत्नी का सम्बन्ध रिश्तों का अलग पाताल लोग है। वहीं कुख्यात हत्यारे हथौड़ा त्यागी के अपराधी बनने की कहानी एक अलग पाताल लोग तक ले जाती है। केस की जाँच के दौरान हाथीराम को पता चलता है कि पुलिस महकमे के अंदर भी एक अलग पाताल लोक है। इन सभी पाताल लोकों के दर्शन के लिए आपको यह वेब सीरीज देखनी होगी।
कुछ दर्शकों को फ़िल्म का अंतर कम सरलीकृत लग सकता है लेकिन पूरी फिल्म इतनी रोचक है कि अंत आते आते आप इसके कायल हो चुके होंगे।